गेहूं की फसल में पीलेपन के प्रमुख कारण एवं उनसे बचाव के उपाय

गेहूं की फसल के पीले पड़ने की समस्या आ रही सामने, किसान करें यह उपाए

गेहूं की खेती : देश में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई शुरू हो गई है। कई किसानों द्वारा गेहूं की अगेती बुवाई पूर्ण भी की जा चुकी है। देश के गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में इस बार बड़े रकबे में गेहूं की बुआई किसानों द्वारा की जा रही है। क्योंकि खरीफ सीजन के दौरान भारी बारिश, बाढ़ और सूखे के कारण किसानों को फसलों में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था। वहीं, इन दिनों रबी सीजन में किसान गेहूं की फसल के बीमार होने की समस्या से जूझ रहे हैं। किसानों द्वारा बोई गई गेहूं की अगेती खेती में फसल के पीले होने की समस्या देखने को मिल रही है। ऐसे में हर किसान यह जानने कि कोशिश कर रहा है कि आखिर गेहूं की फसल क्यों पीली हो रही है। इसके पीछे का मुख्य कारण क्या है और इससे कैसे फसल को बचाया जा सकता? इन सभी समस्याओं से जुडे़ सभी सवालों के जवाब आपको इस पोस्ट में प्राप्त होंगे। जिसे जानने के लिए आप इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढे़ं।

गेहूं की फसल में पीलेपन के प्रमुख कारण एवं उनसे बचाव के उपाय
गेहूं की फसल में पीलेपन के प्रमुख कारण एवं उनसे बचाव के उपाय

गेहूं की फसल में पीलापन आने का आबश्यक कारण

किसान इस वक्त गेहूं की फसल में पीलापन आने की समस्या से परेशान हो रहे हैं। अब गेहूं की फसल में पीलेपन (क्लोरोसिस) होने की समस्या देखने को मिल रही है। ऐसे कई कारक हैं, जो गेहूं की फसल में पीलेपन की समस्या के जनक बनते हैं। इन पर अगर समय से ध्यान नहीं दिया जाए, तो ये आगे चलकर गंभीर बीमारी का रूप धारण कर फसल को प्रभावित करते हैं और इससे उपज पर प्रभाव पड़ सकता है।

नाइट्रोजन की कमी के कारण फसल पर पीलापन आ जाता

कृषि विशेषज्ञों के तहत , गेहूं की फसल में पीलापन आने का सबसे पहला कारण नाइट्रोजन की कमी है। नाइट्रोजन की कमी के चलते फसल पर पीलेपन की समस्या सामने आती है और इसकी शुरूआत नीचे वाले पत्ते से होती है। तापमान में बदलाव, अधिक बारिश के कारण नाइट्रेट के रूप में नाइट्रोजन की हानि और मिट्टी के कम तापमान जैसे मुख्य कारकों के कारण मिट्टी के कार्बनिक पदार्थों से नाइट्रोजन की मात्रा कम हो जाती है। वहीं, यूरिया का सही मात्रा में प्रयोग नहीं करने से भी नाइट्रोजन की कमी हो जाती है। नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए खेत में समय से सही मात्रा में यूरिया का छिड़काव करना चाहिए।

गंधक या सल्फर की कमी के कारण

गंधक या सल्फर फसलों में कार्बनिक तथा अकार्बनिक दोनों रूप में उपस्थित होता है। फसलों में सल्फर अमीनो अम्ल तथा प्रोटीन के प्रतिशत को बढ़ाने में सहायक होता है। मिट्टी में इसकी कमी होने से फसलों की बढ़त प्रभावित होती है। अमीनो अम्ल तथा प्रोटीन सही मात्रा में न बनने से फसल में पीलापन आना शुरू हो जाता है और पत्तियां मुरझाना शुरू कर देती है तथा समय से पहले पत्तियां झड़ जाती है, जिसके कारण पैदावार कम आती है। सल्फर या गंधक की कमी से भूमि रेतीली हो जाती है। गेहूं के विकास के समय सर्दियों में बारिश के लंबे टाइम तक होने से सल्फर की कमी हो जाती है। यहां आपको बता दें कि हमेशा कृषि विशेषज्ञों की सलाह एवं मिट्टी परीक्षण के आधार पर गंधक या सल्फर का प्रयोग करें। वहीं, अमोनियम सल्फेट, अमोनियम सल्फेट नाइट्रेट उर्वरकों का छिड़काव कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर करें।

पानी भरना अथबा भारी सिंचाई से फसल के पीलापन होने का कारण

सर्दियों में बार-बार बारिश, खेतों में पानी भरना अथबा भारी सिंचाई से गेहूं की फसल में पीलापन आ जाता है। भारी सिंचाई के कारण नाइट्रोजन मिट्टी में बह जाता है, जिसके कारण पौधे को विकास के दौरान उचित मात्रा में नाइट्रोजन न मिलने से फसल में पीलापन प्रारम्भ हो जाता है। इसके अलावा, अधिक सिंचाई या बार-बार बारिश होने से खेत में पानी का सही ढंग से निकास नहीं हो पाता है। इससे फसल की जड़ को ठीक से वायु नहीं मिल पाती, जिससे पौधों की जड़ों का विकास सही तरह से नहीं होता और पत्तियां पीला पड़ना शुरू कर देती है एवं समस्या अधिक होने पर पत्तियां समय से पहले मर जाती है।

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