wheat variety:-गेहूं की नई वैरायटी ‘पूसा गौतमी HD 3086’ – अधिक पैदावार के लिए किसानों का वरदान

wheat variety:- गेहूं की ये नई वैरायटी पूसा गौतमी HD 3086 देश में अभी खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही किसान रबी फसलों की बुआई की तैयारी में लगे पड़े हैं। इसके लिए किसान उन्नत बीज के साथ ही खाद आदि की व्यवस्था कर रहे हैं। रबी के मौसम में गेहूं सबसे मुख्य फसल है, कई राज्यों में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। ऐसे में किसानों को बुआई के लिए ऐसी किस्मों का चयन करना चाहिए जो उनके क्षेत्र के लिए अनुकूल होने के साथ ही साथ उस क्षेत्र में लगने वाले रोगों के लिए प्रति रोधी हो जिससे कम लागत में ज्यादा उपज प्राप्त की जा सके।

wheat variety
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कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम देश के बिभिन्न जलवायु क्षेत्रों के लिए गेहूं की नई–नई किस्में विकसित की जा रही है जो प्रति रोधी होने के साथ ही बहुत कम लागत में अच्छी उपज भी देती है। पूसा संस्थान, नई दिल्ली के मध्य ये गेहूं की एक ऐसी ही नई किस्म विकसित की गई है “पूसा गौतमी HD 3086″। जानते हैं इस किस्म की क्या- है इसकी विशेषताएँ।

wheat variety गेहूं किस्म पूसा गौतमी HD 3086

पूसा संस्थान के माध्यम से गेहूं की ये किस्म को उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र [पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा अथवा उदयपुर संभाग को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झाँसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू एवं कश्मीर के हिस्से (कठुआ ज़िला), हिमाचल प्रदेश (ऊना ज़िला एवं पांवटा के कुछ हिस्से) एवं उत्तराखंड (तराई क्षेत्र)] के साथ ही उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र ( पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम एवं अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदान) के लिए विकसित किया गया है।

पूसा गौतमी HD 3086 की पैदावार कितनी है?

wheat variety गेहूं किस्म पूसा गौतमी HD 3086 की अधिकतम पैदावार क्षमता 81.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में एवं 61 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्तर पूर्वी मैदानी मैदान के लिए है। वहीं इसकी औसत उपज की बात की जाए तो 54.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में और 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र में है। अगर एकड़ में बात की जाए तो उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों के किसान 28.44 प्रति एकड़ की दर से इस किस्म से उपज प्राप्त कर सकते हैं।

पूसा गौतमी HD 3086 किस्म समय से बुआई एवं सिंचित अवस्था के लिये उपयुक्त है। जो कि 145 दिन उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में तैयार हो जाती है। वहीं यह किस्म उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में 121 दिनों में ही पक कर तैयार हो जाती है। यह किस्म पीले तथा भूरे रतुए के लिए प्रति रोधी है। इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इस क़िस्म में उच्च निष्कर्षण दर 70.5 और उत्कृष्ट चपाती गुणवत्ता मूल्यांक 7.7 है। गेहूं की यह किस्म चपाती बनाने के लिए उपयुक्त है।wheat variety

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